Sunday, August 30, 2009

नशे की गिरफ्त में बचपन


छत्तीसगढ़ में युवाओं के साथ-साथ बच्चों में भी नशीली दवाओं की लत बढ़ रही है। यहां हर माह ऐसी दवाओं का करोड़ों का कारोबार है, जिनका उपयोग कुछ नशे के लिए किया जाता है। दवा व्यवसायी डाक्टर के बिना प्रिस्क्रिप्शन के ऐसी दवा किसी के भी हाथ में थमा देते हैं, जिससे दवा बेचने वालों के वारे-न्यारे तो होते ही हैं, बच्चे और युवा नशे की गिरफ्त में फंसकर अपनी जिंदगी तबाह करने की राह में चल पड़ते हैं। नशीली दवा बेचने वाले हर महीने लाखों का वारे-न्यारे कर रहे हैं। दवाओं के सौदागर युवा वर्ग को ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी तबाह कर रहे हैं। शहर की कई दुकानों में ये दवाएं डाक्टर के बिना प्रिस्क्रिप्शन के बेची जा रही हैं। नशीले इंजेक्शन का एक एंपुल ब्लैक में एक सौ से एक सौ पचास रुपए के बीच बिकता है, जबकि दवा मार्केट में इसकी कीमत सिर्फ १२ रुपए है। गली-मोहल्लों के पान ठेलों पर यह आसानी से मिल जाता है। शहर के कई इलाकों में ठेलों और घरों में यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। उत्तेजक गोलियों के प्रभाव में मदहोशी छाने के बाद लूट, चाकूबाजी अथवा हत्या तक कर डालते हैं। ताज्जुब है कि नशीली दवाओं का कारोबार तेजी से फैल रहा, लेकिन इनके सौदागरों पर पुलिस अथवा प्रशासन काबू पाने में नाकाम रहा है। नशीली दवाओं की आसान और सस्ती उपलब्धता ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है।

Saturday, August 29, 2009

नक्सलियों का नया फरमान.....

एक ओर जहाँ पुलिस के नव आरक्षक छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में जाने से इंकार कर रहें हैं, भले ही उनकी नौकरी क्यों न चली जाये। वहीँ नक्सालियों के एक नए फरमान ने बस्तर इलाके में पुलिस की परेशानियाँ और बड़ा दी है। हाल ही में घुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र नारायणपुर जिले में नक्सालियों ने कुछ मार्गो पर यात्री वाहनों की तलाशी ली और धमकी दी की जिस वाहन में पुलिसकर्मी रहेंगे उसे उड़ा दिया जायेगा । इस बात की पुष्टि बस्तर रेंज के आईजी टी लान्ग्कुवेर ने भी की है। पुलिस सूत्रों के अनुसार इस धमकी के बाद नारायणपुर के अंदरूनी मार्गो पर बस मालिकों ने बसों में पुलिस जवानों को बिठाने से इनकार कर दिया है। इसके चलते पुलिस के जवान अपनी पदस्थापना वाली जगह और छुट्टी पर घर नहीं जा पा रहे हैं। जिससे बस मालिकों, चालकों, परिचालकों और पुलिस के जवानों के मध्य टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। चालकों तथा परिचालकों का कहना है कि नक्सली चेतावनी के बाद वे बस में पुलिस जवानों को नहीं बिठाएंगे। जबरन बैठने की स्थिति में हम बस ही नहीं चलांएगे। यदि उन पर दबाव डाला गया तो नौकरी छोडकर मजदूरी भी कर लेंगे। हालांकि पुलिस ने पर्याप्त सुरक्षा का आश्वासन दिया है। इस मामले में बस मालिकों को पुलिस तथा नक्सलियों का दोहरा दबाव झेलना पड रहा है।
नक्सालियों की इस तरह की हरकत क्या जायज है ? अपनी राय जरूर दे -

Thursday, August 27, 2009

...तो आधी आबादी भूखे पेट सोएगी

अगर ग्लोबल वार्मिंग इसी तरह से बढ़ती रही तो इस सदी के अंतिम वर्षों में दुनिया की आधी आबादी भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाएगी। वैज्ञानिको की मानें तो न केवल पानी के स्रोत सूख जाएंगे, बल्कि शीतोष्ण व समशीतोष्ण क्षेत्र की ज्यादातर उपजाऊ जमीन में बढ़ते तापमान से दरारें पड़ जाएंगी और वह बंजर में तब्दील हो जाएगी। इतना ही नहीं चावल और मक्का की उपज आज की तुलना में मात्र 40 प्रतिशत रह जाएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि ग्लोबल वार्मिंग इसी तरह बढ़ती रही तो दुनिया के कई देशों के साथ ही भारत के कोलकाता, गोवा और मुंबई तथा गुजरात के तटवर्ती शहरों का अस्तित्व तक मिट सकता है। प्रतिष्ठत जर्नल ‘सांइस’ की ताजा शोध रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर जिन क्षेत्रों में पड़ेगा उनमें दक्षिण अमेरिका से उत्तरी अर्जेंटीना, दक्षिणी ब्राजील से समूचा उत्तर भारत, दक्षिणी चीन से पूरा दक्षिण आस्ट्रेलिया और पूरा अफ्रीका शामिल है। वैज्ञानिकों के अनुसार शीतोष्ण और समशीतोष्ण क्षेत्र में अभी तीन अरब आबादी है जो इस सदी का अंत होते-होते दोगुनी हो जाएगी। इस क्षेत्र की ज्यादातर आबादी कृषि आधारित है । शोध के अनुसार तेजी से बढ़ रहे तापमान से इस क्षेत्र के ज्यादातर जल स्रोत सूख जाएंगे और जमीन की नमी खत्म होने से उपजाऊ जमीन में दरारें पड़ने लगेंगी। इसके बाद यह जमीन बंजर में तब्दील हो जाएगी। ऊंचे तापमान से इन क्षेत्रों की मक्का और चावल की फसल 60 प्रतिशत तक समाप्त हो जाएगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते नयी सदी की शुरूआत होते-होते 10 करोड़ आबादी को वहां से भोजन उपलब्ध नहीं होगा जहां से उसे अभी मिल रहा है। वैज्ञानिकों का यह शोध 23 ग्लोबल क्लाइमेट मॉडल के अध्ययन पर आधारित है। इससे निकले आंकड़ों से जो तस्वीर उभर का आ रही है वह पूरी दुनिया के लिए भयावह है। इसके अनुसार शीतोष्ण और समशीतोष्ण क्षेत्र का तापमान उस स्तर से भी ज्यादा हो जाएगा जितना आज तक कभी नहीं हुआ। अभी तक का अधिकतम तापमान वर्ष 2003 में पश्चिमी यूरोप में हुआ था। तब वहां गर्म हवाओं के चलने से न केवल 60 हजार से ज्यादा मौतें हुई थीं बल्कि 90 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो गई थी। इस स्थिति से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने जो उपाय सुझाए हैं उसमें फसलों की ऐसी प्रजातियां विकसित करने की संस्तुति की गयी है जो ऊंचे तापमान में भी उगाई जा सके।
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मैगजीन में दिखेंगे वीडियो विज्ञापन

तकनीक का जमाना अपने ‘हासिलों’ पर इतरा रहा है। आए दिन ऐसे प्रयोग हो रहे हैं जिसके बारे में सिर्फ कल्पना की जा सकती है। ऐसा कैसे हो सकता है कि कंपनियां अपने उत्पादों की मार्केटिंग के लिए आधुनिक तकनीक को न आजमाएं। अब ब्राडकॉस्टिंग नेटवर्क सीबीएस को ही लीजिए। वह अपनी एक मैगजीन में ऐसा प्रयोग करने जा रहा है, जो आने वाले समय में विज्ञापन की दुनिया में नजीर बन जाएगा। इस ग्रुप की एक पत्रिका ‘एंटरटेनमेंट वीकली’ के सितम्बर अंक में एक वीडियो विज्ञापन शाया होगा। यह ठीक वैसा ही है जैसा ‘हैरी पॉटर’ सीरीज की फिल्मों में नजर आता है। हैरी के अखबार में तस्वीरें अचानक चलने फिरने लगती हैं। अब हकीकत में भी कुछ ऐसा ही होने वाला है। दरअसल, इस पत्रिका में एक पतली वीडियो स्क्रीन लगी होगी, जिसमें विज्ञापन फिल्में होंगी। यह स्क्रीन मोबाइल के आकार की होगी और मैगजीन खोलते ही चलने लगेगी। इसमें वही तकनीक इस्तेमाल की गई है, जो ‘म्यूजिकल ग्रीटिंग कार्ड्स’ में होती है। यानी चिप लगी स्क्रीन को बैटरियों की मदद से चलाया जाएगा। शुरूआत में इसमें सीबीएस के कार्यक्रमों और पेप्सी के विज्ञापन होंगे। पहले चरण में इसे मैग्जीन की चुनिंदा प्रतियों में लगाया जाएगा। यह प्रतियां लास एंजिल्स और न्यूयॉक में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी। हालांकि इस तरह से विज्ञापन देना अन्य तरीकों की तुलना में बहुत महंगा है। लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा वाले बाजार में विज्ञापन कंपनियां जानती हैं कि उत्पाद को लोकप्रिय बनाने के लिए कौन-कौन से नुस्खे आजमाए जा सकते हैं। इसलिए वे नए प्रयोग करने से नहीं चूकते।
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Wednesday, August 19, 2009

कवितायेँ

------मन का भरोसा नहीं-------
सुबह-सुबह का वक्त था
सोने में मैं मस्त था,
तभी सुनाई पड़ी कान में
मोबाइल की रिंग ---।
फ़ोन उठाकर मैंने पूछा,
हेलो ----कौन ?
बधाई, आपने की
दस करोड़ की कमाई .
तंत्रा टूटी, नींद हुई काफूर
बिस्तर से मैं उठ बैठा
कहा - आप श्रीमान कौन ?
जवाब मिला -
आपका सेल बना लक्की नंबर,
मिलेगा अब इनाम । बस
देनी होंगी कुछ जानकारियाँ ।
झट -पट बत्लादाला,
मैंने अपना पूरा बायोडाटा
लेकिन, अगले वाकये से
उड़ गए मेरे होश ।
अजनबी प्रोसेस बता रहा था,
पैसे लेने से पहले
कहाँ-कहाँ देने होंगें नोट
यह जानकारी सुना रहा था।
कुल मिलाकर
बस पाँच लाख की बात है
इसके बाद होंगें आप करोड़पति
लगेगा दौलत का अम्बार।
अब उसे झेलना ,
मेरे बस की बात नही थी
पाँच लाख की कौन कहे
पाँच हजार भी तो पास न थे ।
फ़ोन को किया डिस्कनेक्ट
सो गया मैं फ़िर से
सोच रहा था मैं
पाँच लाख होते तो
मैं आज करोड़पति होता ।
लेकिन तभी दिमाग की बत्ती जली
लगा यह धोखाधडी का
नया तरिका तो नहीं
अच्छा हुआ पाँच लाख नही थे,
मन का कुछ भरोसा नहीं -
मन का कुछ भरोसा नहीं ॥
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---------मेरे पाषाण देव ------------
मै नित्य नीर से सींच रहा,
यह सोच कभी तो पिघलोगे ।
मैंने पीपल की जड़ में रख
तुमको क्या सुन्दर छाँव दिया।
मत शुष्क बना दे तुम्हें धूप
इसलिए कूंप का ठांव दिया,
तुलसी का बिरवा रोप दिया
दल तोड़ कभी तो निकलोगे।
मैं नित्य नीर से ------
तुम दीख पड़े जब सड़क बीच
श्रद्धा से मैंने थाम लिया,
जब सोचा चोट हथौड़े की
तो हर-हर शंकर का नाम लिया,
सेवा में हूँ, पत्थर सुभाव
यह सोच कभी तो बदलोगे
मैं नित्य नीर से -----
तुम आशुतोष अवढरदानी
भोले बाबा कहलाते हो
पर मुझे समझ कर भस्मासुर
शायद इतना भय खाते हो,
मैं भी हूँ पीछे पड़ा हुआ
तुम लाज कभी तो रख लोगे
मैं नित्य नीर से -----
तुम हे मेरे पाषाण - देव !
सचमुच पत्थर के पत्थर हो
पत्थर ही है आवास- भूमि
पत्थर- कन्या के प्रियवर हो,
मैं भी पत्थर सा अडा हुआ
घर छोड़ कभी तो निकलोगे
मैं नित्य नीर से -----
पत्थर का तन यदि छोड़ मुझे
चैतन्य रूप दिखलाओगे
मत डरो किसी वैज्ञानिक की
प्रयोगशाला में जाओगे,
इसलिए आज समझाता हूँ
डर छोड़ कभी तो सम्हलोगे
मैं नित्य नीर से -----
तुम शायद भष्टाचार विरोधी
आंदोलनों से डरते हो
इसलिए समर्पित तुच्छ भेंट
स्वीकार न मेरी करते हो,
धीरज इसलिए बाँधता हूँ
यह भेंट कभी तो धर लोगे
मैं नित्य नीर से ----
दुनियाँ मुझको पागल समझे
मैं नित्य तुम्हें नहालाउगा
विश्वास- नीर से सींच-सींच
पत्थर का हृदय गलाउंगा,
मुझको किंचित संदेह नहीं
दुख-दर्द कभी तो हर लोगे
मैं नित्य नीर से सींच रहा
यह सोच कभी तो पिघलोगे ।
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बेटियों की रक्षा सिन्दूर से

सुहागिनों का प्रतीक सिंदूर यदि कुंवारी लड़कियां भी लगाने लगे तो इससे बड़ी हैरत की बात और क्या होगी। आप मानें या न मानें लेकिन छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में ऐसा हो रहा है। बिन ब्याही लड़कियों की रक्षा के लिए परिजनों को यह कदम मजबूरी में उठाना पड़ रहा है।
दरअसल, नक्सलियों ने अपनी तादात बढाने के लिए इन दिनों सदस्यों की भर्ती अभियान चला रखा है और वे गावों में बैठकें कर हर घर से लड़कों और लड़कियों की मांग कर रहे हैं । उनकी मांग नहीं मामने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है। इससे घबराये लोगों को वह सब कुछ करना पड़ रहा है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। सबसे बुरा हल नक्सल प्रभावित धमतरी जिले का है। यहाँ के सिहावा और नगरी क्षेत्र के लोग नक्सलियों से बेटियों को बचाने के लिए उन्हें चोरी- छिपे दूर रिश्तेदारों के यहाँ भेज दे रहे है या उन्हें साड़ी पहनाकर उनकी मांग में सिंदूर लगवा रहे है, ताकि वे उन्हें शादी-शुदा बता सकें। नक्सली शादी-शुदा महिलाओं को तंग नहीं करते, यही वजह है की लोग बेटियों को सुहागिनों के चोलें में छिपाकर घर पर रख रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो अब तक नगरी और सिहावा क्षेत्र के कई गावों से काफी संख्यां में युवक-युवतियां लापता हो चुकें है। इसकी जानकारी पुलिस को भी है लेकिन वह कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। गौरतलब है की पिछले दिनों नक्सली कमांडर रमन्ना ने इस इलाके में पहुंचकर अलग-अलग दलम कमांडरों से मुलाकात की थी। इसके बाद से इस क्षेत्र में नक्सलियों ने अपनी गतिविधियाँ तेज कर दीं। इसी का परिणाम है की स्वतंत्रा दिवस पर कई गावों में ध्वाजारोहण नहीं हुआ। बताया जा रहा है की रमन्ना के जाने के बाद भर्ती अभियान में भी तेजी आ गई। सूत्रों के मुताबिक सोंढूर बाँध के आसपास के पहाडी इलाकों में नक्सलियों ने गढ़ बना रखा है। इन क्षेत्रों के अलावां गरियाबंद, मैनपुर और उडीसा सीमा पर काफी संख्यां में वर्दीधारी नक्सलियों के देखे जाने की ख़बर है।

Tuesday, August 18, 2009

यह मेरा ब्लॉग है इसमे मैं देश दुनिया की तमाम घटनाओं पर अपने विचार लिखना चाहता हूँ। आपके विचारों का भी इसमे स्वागत है।