Tuesday, February 9, 2010

करोड़पति गांव के गरीब लोग

खरोरा के हर तीसरे व्यक्ति के पास है पैन कार्ड


(खरोरा गांव का दौरा कर संजय दुबे की रिपोर्ट)
रायपुर। कृषि सचिव बी.एल. अग्रवाल के ठिकानों पर पड़े आयकर छापे के दौरान रातों-रात चर्चा में आया खरोरा करोड़पतियों का गांव निकला। गरीबी और तंगहाली में जिंदगी गुजार रहे लोगों को जब पता चला कि उनके नाम लाखों-करोड़ों रूपए हैं तो उनके पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। अब ग्रामीणों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या ये रकम उन्हें मिल सकती है।  जब इस गांव का दौरा किया तो कई चौकाने वाली जानकारियां भी मिली। इस गांव के औसतन हर तीसरे व्यक्ति का पैन काडऱ् बना हुआ है और उन्हें नहीं पता कि इसका इस्तेमाल कौन लोग, किस मकसद से कर रहे हैं। कृषि सचिव के सीए सुनील अग्रवाल के पास से मिले ग्रामीणों के 220 पैन कार्ड और बैंक खातों की जानकारी तो आयकर छापे में मिल गई। ग्रामीणों के मुताबिक ये कार्ड सुनील के सहयोगी आलोक अग्रवाल ने उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर बनवाए थे। इसके अलावा अभी भी इस गांव में करीब 2 हजार लोगों के पैनकार्ड होने की बात सामने आ रही है। ग्रामीण इस बारे में ज्यादा कुछ बताने से कतरा रहे हैं। हालांकि वे स्वीकार करते हैं उनका पैन बना है जो कुछ ठेकेदारों ने बनवाए थे। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शराब ठेकेदारों ने गांव के अधिकांश लोगों के पैन कार्ड बनवाएं हैं और इसकी एवज में उन्हें 5 हजार रूपए भी मिले थे। ऐसी जानकारी मिली है कि ठेकेदारों द्वारा आबकारी ठेकों और खदान निविदाओं में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
नहीं देखा ऐसा गांव -मुख्य आयकर आयुक्त
मुख्य आयकर आयुक्त जमील अहमद से जब बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि विभाग को सुनील अग्रवाल के पास से मिले पैन कार्डों के अलावा अन्य कार्डों की जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने इस गांव में इतनी बड़ी संख्या में पैन कार्ड होने की संभावना से इंकार भी नहीं किया। मुख्य आयकर आयुक्त ने इस बात पर आश्यर्च जताते हुए कहा कि अपनी सर्विस के दौरान उन्होंने ऐसा गांव नहीं देखा जहां इतनी अधिक संख्या में लोगों के पास पैन नंबर मिले हों। कुछ लोग किस तरह करों की हेराफेरी करते हैं इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि गत वर्ष दिसंबर में बैंकों की इंक्वायरी के दौरान एक खाते में एक पखवाड़े के भीतर सवा दो करोड़ रूपए जमा करने का मामला सामने आया। संबंधित बैंक के मैनेजर से पूछताछ की गई तो पता चला कि यह खाता किसी बढ़ई का है और पूछताछ के डर से वह कहीं भाग गया। जब इस मामले की और गहराई से जांच की गई तो यह जानकारी मिली कि बिलासपुर का एक ठेकेदार अपने कारपेंटर के नाम खाता खुलवाकर स्वंय उसे संचालित करता था। बाद में उस ठेकेदार ने 2 करोड़ रूपए सरेंडर किया। श्री अहमद ने इस आशंका से इंकार नहीं किया कि ग्रामीणों के भोलेपन और सही जानकारी नहीं होने का फायदा कुछ शातिर दिमाग लोग उठाते हैं।

पुजारी और मोची को भी नहीं छोड़ा
खरोरा गांव में लोगों के पास मतदाता परिचय पत्र या ड्राईविंग लाइसेंस की तरह पैन कार्ड हैं। बताया जा रहा है सुनील का सहयोगी आलोक अग्रवाल जो इसी गांव का निवासी है, उसने ग्रामीणों को सब्जबाग दिखाकर बड़ी संख्या में कार्ड बनवाएं हैं। खरोरा में पैन कार्ड केवल कुछ किसानों के पास ही नहीं है बल्कि चाय-पान ठेला लगाने वाले, टैक्सी चलाने वाले और छोटे-छोटे व्यवसाय करने वालों के पास भी है। सुनील के पास से मिले कार्डों में एक विकलांग युवक भोला यादव का भी नाम है। बकरी चराकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने वाले इस युवक ने बताया कि उसे जानकारी मिली है उसके खाते में करीब सवा करोड़ रूपए है। इस गोरखधंधे में शामिल लोगों ने जूता-चप्पल सिलने वाले मोची और हनुमान मंदिर के पुजारी धनंजय शर्मा को भी नहीं बख्शा और इन लोगों के भी पैन कार्ड बनावा दिए गए। इनके बैंक और डीमेट खातों में भी पचास लाख रूपए से अधिक की राशि और शेयर होने की जानकारी उन्हें मिली है।
कुछ और गांवों में भी बने हैं पेनकार्ड
खरोरा चौक पर चाय की दुकान चलाने वाले संजय यादव ने बताया कि आलोक अग्रवाल ने ही यहां सबसे पहले पैन कार्ड बनवाने का सिलसिला शुरू किया। इसके लिए उसने लोगों से कई दस्तावेजों की फोटोकापी ली और फार्म भी भरवाया। एक दूसरे की देखादेखी अन्य लोगों ने भी कार्ड बनवाना शुरू कर दिया। इसके बाद तो कुछ अन्य ठेकेदारों ने भी बड़ी संख्या में कार्ड बनवाए। गांव के एक अन्य युवक प्रेम सेन का कहना था कि इसके लिए ठेकेदारों ने जब पांच हजार रूपए दिए तब तो लोग स्वयं ही आगे आकर पैन कार्ड बनवाने लगे। इस युवक ने यह भी बताया कि खरोरा के आसपास के कुछ और गांवों में भी ठेकेदारों ने लोगों के कार्ड बनवाएं हैं। वहीं गांव के सेवकराम, तोरन यादव और राजिव यादव का कहना था, आयकर विभाग उन्हें यह जानकारी दे कि ं उनके नाम से आरोपियों ने कहीं लोन तो नहीं लिया है। हालांकि आयकर विभाग ने यह स्पष्ट किया है पेनकार्ड मामले में सामान्य पूछताछ के अलावा ग्रामीणों पर अन्य किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
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