अगर ग्लोबल वार्मिंग इसी तरह से बढ़ती रही तो इस सदी के अंतिम वर्षों में दुनिया की आधी आबादी भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाएगी। वैज्ञानिको की मानें तो न केवल पानी के स्रोत सूख जाएंगे, बल्कि शीतोष्ण व समशीतोष्ण क्षेत्र की ज्यादातर उपजाऊ जमीन में बढ़ते तापमान से दरारें पड़ जाएंगी और वह बंजर में तब्दील हो जाएगी। इतना ही नहीं चावल और मक्का की उपज आज की तुलना में मात्र 40 प्रतिशत रह जाएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि ग्लोबल वार्मिंग इसी तरह बढ़ती रही तो दुनिया के कई देशों के साथ ही भारत के कोलकाता, गोवा और मुंबई तथा गुजरात के तटवर्ती शहरों का अस्तित्व तक मिट सकता है। प्रतिष्ठत जर्नल ‘सांइस’ की ताजा शोध रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर जिन क्षेत्रों में पड़ेगा उनमें दक्षिण अमेरिका से उत्तरी अर्जेंटीना, दक्षिणी ब्राजील से समूचा उत्तर भारत, दक्षिणी चीन से पूरा दक्षिण आस्ट्रेलिया और पूरा अफ्रीका शामिल है। वैज्ञानिकों के अनुसार शीतोष्ण और समशीतोष्ण क्षेत्र में अभी तीन अरब आबादी है जो इस सदी का अंत होते-होते दोगुनी हो जाएगी। इस क्षेत्र की ज्यादातर आबादी कृषि आधारित है । शोध के अनुसार तेजी से बढ़ रहे तापमान से इस क्षेत्र के ज्यादातर जल स्रोत सूख जाएंगे और जमीन की नमी खत्म होने से उपजाऊ जमीन में दरारें पड़ने लगेंगी। इसके बाद यह जमीन बंजर में तब्दील हो जाएगी। ऊंचे तापमान से इन क्षेत्रों की मक्का और चावल की फसल 60 प्रतिशत तक समाप्त हो जाएगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते नयी सदी की शुरूआत होते-होते 10 करोड़ आबादी को वहां से भोजन उपलब्ध नहीं होगा जहां से उसे अभी मिल रहा है। वैज्ञानिकों का यह शोध 23 ग्लोबल क्लाइमेट मॉडल के अध्ययन पर आधारित है। इससे निकले आंकड़ों से जो तस्वीर उभर का आ रही है वह पूरी दुनिया के लिए भयावह है। इसके अनुसार शीतोष्ण और समशीतोष्ण क्षेत्र का तापमान उस स्तर से भी ज्यादा हो जाएगा जितना आज तक कभी नहीं हुआ। अभी तक का अधिकतम तापमान वर्ष 2003 में पश्चिमी यूरोप में हुआ था। तब वहां गर्म हवाओं के चलने से न केवल 60 हजार से ज्यादा मौतें हुई थीं बल्कि 90 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो गई थी। इस स्थिति से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने जो उपाय सुझाए हैं उसमें फसलों की ऐसी प्रजातियां विकसित करने की संस्तुति की गयी है जो ऊंचे तापमान में भी उगाई जा सके।
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ek najar idhar bhee daalein http://sb.samwaad.com/2009/08/blog-post_28.html
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है आपने.
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
बिलकुल सही जानकारी, इसका एक ही इलाज है औऱ वो है पेड़ लगाया जाए
ReplyDeletenarayan narayan
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